Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2024 · 1 min read

कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो

कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
जैसे कि दवा मैं पिऊं और मर्ज़ तेरा हो

रस्ता तकूं,बातें करूं,नखरे भी उठाऊं
बर्बाद वक्त मैं करूं और हर्ज़ तेरा हो

अपनी अना पे जीने का मतलब हीं खो गया
जीती हूँ जैसे मुझपे बहुत कर्ज़ तेरा हो

मैंने हिसाब रखा है अपने गुनाह का
मैं चाहती नहीं कि कोई खर्च तेरा हो

हर वक्त ये उम्मीद क्यूं रहती है मुझी से
बातें तो मैं करूंगी मगर तर्ज़ तेरा हो

महफ़िल में कोई ज़िक्र सितम का करे कभी
मैं चाहती हूँ चेहरा बहुत ज़र्द तेरा हो

124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shweta Soni
View all
You may also like:
औरतें ऐसी ही होती हैं
औरतें ऐसी ही होती हैं
Mamta Singh Devaa
2) “काग़ज़ की कश्ती”
2) “काग़ज़ की कश्ती”
Sapna Arora
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
" तेरे बगैर "
Dr. Kishan tandon kranti
संसाधन का दोहन
संसाधन का दोहन
Buddha Prakash
गले से लगा ले मुझे प्यार से
गले से लगा ले मुझे प्यार से
Basant Bhagawan Roy
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
*हमारा संविधान*
*हमारा संविधान*
Dushyant Kumar
Rumors, gossip, and one-sided stories can make it easy to pa
Rumors, gossip, and one-sided stories can make it easy to pa
पूर्वार्थ
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
Harminder Kaur
Maine
Maine "Takdeer" ko,
SPK Sachin Lodhi
* गीत कोई *
* गीत कोई *
surenderpal vaidya
क्षमा करें तुफैलजी! + रमेशराज
क्षमा करें तुफैलजी! + रमेशराज
कवि रमेशराज
मां
मां
Dr. Shakreen Sageer
लेखनी कहती यही है
लेखनी कहती यही है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
जीवनचक्र
जीवनचक्र
Sonam Puneet Dubey
लागेला धान आई ना घरे
लागेला धान आई ना घरे
आकाश महेशपुरी
ये दुनिया
ये दुनिया
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कहानी, बबीता की ।
कहानी, बबीता की ।
Rakesh Bahanwal
3766.💐 *पूर्णिका* 💐
3766.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
parvez khan
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सत्यम शिवम सुंदरम🙏
सत्यम शिवम सुंदरम🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शब्द अभिव्यंजना
शब्द अभिव्यंजना
Neelam Sharma
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
Sanjay ' शून्य'
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
Sushila joshi
उसके पलकों पे न जाने क्या जादू  हुआ,
उसके पलकों पे न जाने क्या जादू हुआ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
sushil sarna
यकीन का
यकीन का
Dr fauzia Naseem shad
"घमंड के प्रतीक पुतले के जलने की सार्थकता तब तक नहीं, जब तक
*प्रणय*
Loading...