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23 Aug 2021 · 1 min read

क़ैद में है बुलबुल

तुम्हारा भी कोई वजूद है
आखिर कैसे भुला देती हो!
पिंजरे की सुरक्षा के लिए
खुला आकाश गंवा देती हो!!
हम लोग तो मारे घुटन के
मालूम नहीं क्या कर बैठते!
तुम लोग घर में हंसती हुई
पूरी उम्र बीता देती हो!!
Shekhar Chandra Mitra

Language: Hindi
Tag: कविता
160 Views
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