कहां गये हम

कहां जाये हम अपने जज्बात लेकर।
तेरे लिए अपने दिल के ख्यालात लेकर।
दिल अरसे से, ढूंढ रहा है जिनके जवाब
पास किसके जायें , वो सवालात लेकर।
अब तो तन्हाई है रह गयी है मेरे चार सू
कहां से कहां तक मुझे आये हालात लेकर।
आगाह कर दे लोगों को,हम हैं बहुत भटके,
कैसे, कहां कितने,इश्क के कमालात लेकर।
सुरिंदर कौर