कहां खो गए

ऐ दोस्त हम सबसे जुदा होके,
पता नहीं कहाँ खो गए तुम?
जब भी तेरी यादें आती हैं,
तब आँखें नम सी हो जाती हैं ।।
तुम्हारे संग हॉस्टल में हलचल मचाना,
हॉस्टल में एक दूसरे की खिल्ली उड़ाना।
तुम्हारे साथ पीटी में सुप्रिटेंडेंट सर के बाद जाना
देर से पहुँचने पर सर के द्वारा तुम्हारे साथ दंडित होना ।।
लंच में तुम्हारे संग खाना और गप्पे लड़ाना,
सच पूछो तो ये लम्हें बहुत याद आते हैं।
ऐ मेरे दोस्त जब भी तुम्हारी याद आती है,
तब मेरी आँखें नम हो जाती हैं ।।
ऐ मेरे दोस्त,
तुम्हारे बगैर ये जिंदगी ना पूरी सी लगती है,
तुम्हारे बगैर सारी मस्ती अधूरी सी लगती है,
हर पल, हर लम्हा तुम्हें याद करते हैं,
तू आ जा हमारे बीच हमेशा के लिए
ईश्वर से बस यही दरख़्वास्त करते हैं ।।
©अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’