Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2016 · 1 min read

कहाँ गए मेरे दिन वे सुनहरे….

कहाँ गए मेरे दिन वे सुनहरे !
संबंध सुखों से जब थे गहरे !

स्वच्छंद गोद में प्रकृति की,
होती थीं अनगिन क्रीडाएँ !
सुख से पटी दिल की जमीं पर
उपज आईं ये कैसी पीडाएँ !
सपनों पर भी लगे अब पहरे
कहाँ गए मेरे———–!

जब- जब आते संग लाते थे
नित नई एक सौगात !
अभिन्न मित्र थे तीनों मेरे
जाडा- गरमी- बरसात !
अरमानों के सर सजे थे सहरे
कहाँ गए मेरे————!

जिन्हें देख आँखें जीती थीं
स्नेह-सुधा भर भर पीती थीं !
कितनी मधुर जीवन की घडियाँ
जिनकी छाँव तले हँसकर बीती थीं !
कितने धुँधले हुए वे चेहरे !
कहाँ गए मेरे———-!

कभी प्राण कलपते थे जिनके
देख के इन आँखों में पानी !
पाषाण बने क्यों आज खड़े वे
सुनकर मेरी करुण कहानी !
अपने बैरी हुए या बहरे !
कहाँ गए मेरे – – – – – – !

नफरत की दीवारें ढहती
उल्फत का जब जब बरसे पानी !
वो जज्बा आज भी जिंदा है
नहीं मरा हर आँख का पानी !
कोई मुझसे आकर ये कह रे !
कहाँ गए मेरे – – – – – – – -!

सुख- दुख तो आते- जाते,
जैसे आते पतझर-सावन !
दुख की रातें भी बीतेंगी
दिन भी आयेंगे मनभावन !
मन परिवर्तन हँसकर सह रे !

कहाँ गए मेरे दिन वे सुनहरे !
संबंध सुखों से जब थे गहरे !

—सीमा अग्रवाल—
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

Language: Hindi
2 Likes · 493 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
समझ मत मील भर का ही, सृजन संसार मेरा है ।
Ashok deep
किसी ने अपनी पत्नी को पढ़ाया और पत्नी ने पढ़ लिखकर उसके साथ धो
किसी ने अपनी पत्नी को पढ़ाया और पत्नी ने पढ़ लिखकर उसके साथ धो
ruby kumari
✍️नियत में जा’ल रहा✍️
✍️नियत में जा’ल रहा✍️
'अशांत' शेखर
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
कवि दीपक बवेजा
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कर्मठ व्यक्ति की सहनशीलता ही धैर्य है, उसके द्वारा किया क्षम
कर्मठ व्यक्ति की सहनशीलता ही धैर्य है, उसके द्वारा किया क्षम
Sanjay ' शून्य'
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
Pankaj Sen
*अपना अंतस*
*अपना अंतस*
Rambali Mishra
संसद
संसद
Bodhisatva kastooriya
🌺🌺यह जो वक़्त है यह भी न रहेगा🌺🌺
🌺🌺यह जो वक़्त है यह भी न रहेगा🌺🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुम्हें जब भी मुझे देना हो अपना प्रेम
तुम्हें जब भी मुझे देना हो अपना प्रेम
श्याम सिंह बिष्ट
शोर मचाने वाले गिरोह
शोर मचाने वाले गिरोह
Anamika Singh
क्या पता है तुम्हें
क्या पता है तुम्हें
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
फितरत
फितरत
Anujeet Iqbal
बेचैन कागज
बेचैन कागज
Dr Meenu Poonia
सुबह को सुबह
सुबह को सुबह
rajeev ranjan
हुई कान्हा से प्रीत, मेरे ह्रदय को।
हुई कान्हा से प्रीत, मेरे ह्रदय को।
Taj Mohammad
माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
अपनी स्टाईल में वो,
अपनी स्टाईल में वो,
Dr. Man Mohan Krishna
दाता देना बस हमें , निर्मल मन अभिराम (कुंडलिया)
दाता देना बस हमें , निर्मल मन अभिराम (कुंडलिया)
Ravi Prakash
घर की चाहत ने, मुझको बेघर यूँ किया, की अब आवारगी से नाता मेरा कुछ ख़ास है।
घर की चाहत ने, मुझको बेघर यूँ किया, की अब आवारगी से नाता मेरा कुछ ख़ास है।
Manisha Manjari
हे चौथ माता है विनय यही, अटल प्रेम विश्वास रहे
हे चौथ माता है विनय यही, अटल प्रेम विश्वास रहे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ढोंगी बाबा
ढोंगी बाबा
Kanchan Khanna
2526.पूर्णिका
2526.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हमे यार देशी पिला दो किसी दिन।
हमे यार देशी पिला दो किसी दिन।
विजय कुमार नामदेव
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
अपनी ही निगाहों में गुनहगार हो गई हूँ
Trishika Srivastava Dhara
मुरली कि धुन
मुरली कि धुन
Anil chobisa
सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
Neeraj Agarwal
मेरी आंखों में
मेरी आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
भारतीय महीलाओं का महापर्व हरितालिका तीज है।
भारतीय महीलाओं का महापर्व हरितालिका तीज है।
आचार्य श्रीराम पाण्डेय
Loading...