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5 May 2023 · 1 min read

कहाँ अब पहले जैसी सादगी है

कहाँ अब पहले जैसी सादगी है
महब्बत में कहीं तो कुछ कमी है
हुआ करती थी तेरे दर पे महफ़िल
फ़िज़ा क्यों अब वहाँ पर मातमी है
करो कुछ ज़िक्र मेरी बेरुख़ी का
तुम्हारी आँख क्या कुछ देखती है
महावीर उत्तरांचली

1 Like · 181 Views
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