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14 Sep 2024 · 1 min read

कहमुकरी

कहमुकरी

निज संस्कृति का मान धरे।
शब्दों से उसके फूल झरे।
सोहे मस्तक प्यारी बिंदी।
क्या सखे सजनी ? ना सखे हिंदी।

साथ सभी के घुलमिल जाए।
पर जो उसको आँख दिखाए।
कर दे उसकी चिंदी-चिंदी।
क्या सखे सजनी ? ना सखे हिंदी।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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