Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2023 · 7 min read

कवि कृष्णचंद्र रोहणा की रचनाओं में सामाजिक न्याय एवं जाति विमर्श

सामाजिक न्याय सभी मनुष्यों को समान मानने पर आधारित है| इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति के साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक आधार पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए| मानव के विकास में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए| सामाजिक न्याय की अवधारणा का अर्थ भारतीय समाज में पीड़ित, शोषित और वंचितों को सामाजिक बराबरी दिए जाने के रूप में लिया जाता है| भारतीय समाज में प्रचलित सभी धर्मों के मूल में सामाजिक न्याय दृष्टिगोचर होता है, किन्तु समय के साथ जिस प्रकार धर्म व्यवहार में आये हैं, उसमें सामाजिक न्याय का अर्थ परिवर्तित हो गया है| सामाजिक न्याय के विचार विभिन्न शोध-ग्रन्थों, पुस्तकों एवं विभिन्न देशों के संविधानों में लिखे गए हैं, जैसे कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी भारतीय नागरिकों को विकास के लिए सभी प्रकार के अवसर समान रूप से मुहैया कराने और सामाजिक न्याय स्थापित करने की बात की गई है| भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 विधि के सामने समानता की पैरवी करता है व अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को कानूनन अवैध ठहराता है| केंद्र और राज्य सरकारों ने सामाजिक न्याय स्थापित करने के लिए वंचित वर्गों के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया है| भारतीय समाज में जन्मे विभिन्न महापुरुषों ने भी सामाजिक न्याय की कोशिश अपने-अपने तरीके से की है| लेकिन इतना सब होने के पश्चात भी समाज में सामाजिक न्याय व्यवहार में दिखाई नहीं देता है| छुआछूत, जातिगत उत्पीड़न, धार्मिक उन्माद जैसी घटनाएं आए दिन देखने और पढने को मिलती हैं|
संवैधानिक उपचारों को आमजन तक पहुंचाने, इन अधिकारों के प्रति जागृत करने, समाज में घट रही घटनाओं पर अपने विचार व्यक्त करने में एक कवि/लेखक भी अपनी भूमिका निभाता है| अपनी लेखनी के द्वारा वो समाज में हो रही ज्यादतियों का विरोध करता है| शोषित, पीड़ित के विचारों को अपनी कविताओं में स्थान देता है| हरियाणा के सोनीपत जिले के रोहणा गाँव में ऐसे ही एक कवि कृष्णचंद्र जी का जन्म 2 जून 1937 को हुआ| जिन्होंने स्वयं द्वारा अनुभव की गई एवम् समाज में घट रही घटनाओं को अपनी रचनाओं में स्थान दिया| कृष्णचंद्र जी स्वयं एक वंचित जाति से सम्बन्ध रखते हैं| इन्होंने बचपन से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था| 23 वर्ष की उम्र में अध्यापन को अपना कर्म क्षेत्र बना लिया था| रोहणा जी ने अध्यापन और लेखन के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया| कृष्णचंद्र जी की अधिकतर रचनाएं मुक्तक शैली की हैं| उन्होंने संत कबीरदास और सेठ ताराचंद किस्सों की रचना की है| डॉ. भीमराव आंबेडकर व ज्योतिराव फूले पर इन्होने समाज को जागृत करती बहुत सी रागनियां लिखी हैं| इन्होंने अनेक फुटकल रागनियों की भी रचना की, जिसमें पर्यावरण, स्त्री-शिक्षा, आपसी भाईचारा, समता, अंधविश्वास, देश प्रेम की भावना, गुरु महत्ता, व्यवहार विमर्श, सामाजिक चेतना और शिक्षा की ललक आदि विषयों को आधार बनाया है| एक शिक्षक और कवि के रूप में इन्हें सरकार के कई उपक्रमों द्वारा सम्मानित भी किया गया| इनके किस्से ‘सेठ ताराचंद’ व ‘संत कबीर’ आकाशवाणी रोहतक से प्रसारित भी किये गए|
कृष्णचंद्र जी ने वैसे तो प्रत्येक विषय पर अपनी लेखनी चलाई किन्तु समाज में शोषित, वंचित पर हो रहे अत्याचारों पर भी अपने विचार प्रस्तुत किये| समाज में सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए उन्होंने कई कालजयी रचनाएं रची| भारतीय समाज में जाति सामाजिक न्याय में सबसे बड़ी बाधा है| कवि कृष्णचंद्र ने जाति व्यवस्था को कृत्रिम, मानव-निर्मित और स्वार्थ से परिपूर्ण बताया है| वे मानते हैं कि जाति श्रमजीवियों ने नहीं बनाई| जाति उन्होंने बनाई जो श्रम साधनों पर कब्ज़ा कर मौज उड़ाना चाहते हैं| जाति पर कटाक्ष करते हुए कवि लिखते हैं-

जाति बड़ी कोई नहीं, हर इंसान समान|
गुण धर्म सम है सबके, सभी रूप भगवान|

रोहणा जी स्पष्ट करते हैं कि कोई भी जाति बड़ी नहीं है, सभी इंसान समान हैं| सभी के मूल गुण एक जैसे हैं| अगर जाति नामक धारणा का अस्तित्व वास्तव में होता तब गुण-धर्म में भी अंतर होता| जबकि गुण-धर्म में कहीं भी कोई अंतर दृष्टिगोचर नहीं होता है| रोहणा जी मानते हैं कि मनुष्यों में कोई अंतर नहीं है| सभी भगवान का रूप हैं|
कृष्णचंद्र जी जाति के घोर विरोधी हैं| वे कर्म की प्रधानता स्वीकार करते हैं| वे मानव के मूल्यांकन का आधार उसके द्वारा किये जाने वाले कार्य को मानते हैं| वे संत कबीरदास और संत रविदास जी के उदाहरण देते हुए लिखते हैं –

कर्म से बड़ा होत है, जाति से नहीं होय|
कबीर रविदास कौन थे, पीछे देखे कोय|

गुरु रविदास और कबीरदास के सद्कर्मों के समक्ष उनकी जाति कोई मायने नहीं रखती| कबीर जुलाहा और रैदास चमार होने के बावजूद पूरी दुनिया में पूजनीय हैं| उन्होंने मानव मात्र की समानता के विचार प्रकट किये| वे लगातार सामाजिक रूढ़ियों से संघर्ष करते रहे जिसके परिणाम-स्वरूप वे आज पूजनीय बन गए|

जाति-पाति के भेद में फंसे सो मूढ़ गंवार|
सुख शांति कभी ना मिली, संतन किया विचार|
संतन किया विचार सभी हैं मानव भाई|
सभी से करो प्रेम इसमें सबकी भलाई|

कवि कृष्णचंद्र जी जाति-पाति के भ्रमजाल में फंसने वाले लोगों को मूढ़-गंवार की संज्ञा देते हैं| जो मानव जाति के भ्रम में फंस गया उसे कभी भी शांति नहीं मिल सकती है| देश-समाज जाति के कारण रसातल में जा रहा है| हमें सभी मानवों को एक समान समझना चाहिए और सबसे प्रेम करना चाहिए| इसी में सभी का भला छिपा हुआ है|
कृष्णचंद्र जी ने समाज को जागृत करने के लिए अपनी रचनाओं का प्रयोग किया है| उन्होंने वंचित समाज का इस देश को आजाद कराने और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान बताया है| उनका मानना है कि आज भारत देश जिस स्थिति पर है उसमें केवल कुछ लोगों का ही योगदान नहीं है, बल्कि सभी ने अपने हिस्से की लड़ाई लड़ी है| आजादी के आन्दोलन के दौरान वंचित समाज से कितने ही नेताओं ने आगे आकर अपने प्राणों को न्योछावर किया| मातादीन भंगी, झलकारी बाई, बाबू मंगूराम आदि कितने ही लोगों ने आज़ादी के आन्दोलन को गति प्रदान की| डॉ. आंबेडकर ने सामाजिक बराबरी के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया| आजादी के बाद भी लड़े गए अनेक मोर्चों पर गरीब परिवारों से आए सैनिकों ने देश की रक्षा की है| कवि कृष्णचंद्र जी निम्न पंक्तियों के द्वारा वंचित समुदाय का योगदान बताते हैं-

थारी गेलां रहे सदा, ये आजादी ल्यावण म्हं
आगे हमेशा रहे, गोळी छाती म्हं खावण म्हं
महाशय दयाचंद लागे, आजादी छंद बना गावण म्हं
कोहिमा का जीत्या मोरचा, नाम आगे आवण म्हं
आंबेडकर भारत रत्न बने, संविधान बनाए तै|

कवि कृष्णचंद्र जी मानते हैं कि देश समाज के हित में प्रत्येक मोर्चे पर वंचित समुदाय के लोग आगे रहे हैं| किन्तु उन्हें फिर भी वो अधिकार, वो सामाजिक बराबरी, वो सम्मान प्राप्त नहीं हुआ जिसके वे हकदार हैं|
कवि कृष्णचंद्र रोहणा जी ने सामाजिक न्याय के प्रणेता डॉ. बी. आर. आंबेडकर के जीवन और कार्यों को काव्य बद्ध किया| जिसको उन्होंने आंबेडकर प्रकाश का नाम दिया| अम्बेडकर प्रकाश के किस्से की एक रागनी की इन पंक्तियों में रोहणा जी लिखते हैं-

मानव को समझा ना मानव, पशु जैसा व्यवहार किया
इन गरीबां के ऊपर तै बहुत बड़ा अत्याचार किया
हर तरह से पीछे राखे, बंद तरक्की का द्वार किया
बाबा साहब गरीबां के मसीहा बनके आए थे
भारी जुल्मों सितम सहके, ऊंची शिक्षा पाए थे
तुम भी शिक्षित बनो आगे बढ़ो जागे और जगाए थे
बाबा साहब ने जो भला किया जा सकता नहीं भुलाया रे|

रोहणा जी मानते हैं कि सामाजिक व्यवस्था में मानव को मानव नहीं समझा जाता है| उसके साथ पशु जैसा व्यवहार किया जाता है| ग़रीबों के ऊपर हमेशा से अत्याचार होते आए हैं| इनको विकास नहीं करने दिया गया| इनकी तरक्की के दरवाजे बंद रखे गए| लेकिन डॉ. भीमराव आंबेडकर गरीब और वंचितों के लिए एक मसीहा बनकर आए थे| उन्होंने जीवन में बहुत समस्याओं का सामना करके उच्च शिक्षा प्राप्त की थी| बाबा साहब चाहते थे कि वंचित समुदाय शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़े| बाबा साहब ने संविधान रचकर जो भला किया है उसको कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है|
कृष्णचंद्र जी ने महात्मा ज्योतिराव फुले के जीवन और कार्यों को भी काव्यबद्ध किया है| अपनी एक रचना में वे लिखते हैं –

जोति फूले ने पढ़ लिख के, जुल्म मिटावण की सोची
मानव से मानव घृणा करे, कलंक हटावण की सोची
सामाजिक विद्रोह करके, गुलामी भगावण की सोची
सबका हक़ बराबर से, सम्मान दिलावण की सोची
गरीब जगावण की सोची, अपमान भी स्वीकार किया|

महात्मा ज्योतिराव फूले ने स्वयं शिक्षा प्राप्त की एवं उस शिक्षा का प्रयोग समाज से जुल्म को समाप्त करने में किया| मानव से मानव द्वारा घृणा के वे घोर विरोधी थे| समाज में छुआछूत जैसे कलंक की समाप्ति के लिए महात्मा फूले ने सामाजिक आन्दोलन भी किये| फूले जी मानते थे कि सभी का हक़ बराबर है| कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है| सभी को समान रूप से सम्मान मिलना चाहिए| उन्होंने विद्यालयों की स्थापना की एवं महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना कर वंचित समुदायों में नई ऊर्जा का संचार किया| समाज में सुधार करने के कारण उन्हें स्वयं भी अपमान का सामना करना पड़ा था|
कवि कृष्णचंद्र जी समाज में फैली बुराईयों पर अपनी रागनियों के माध्यम से गहरी चोट करते हैं| वे ईमानदार और मेहनतकश समाज के समर्थक हैं| कवि कृष्णचंद्र द्वारा लिखा गया साहित्य हरियाणवी जन-जीवन को समझने का आसान तरीका है| उनकी रचनाएं आमजन की बोली में लिखी गई हैं| जिससे मानवमात्र स्वयं का जुड़ाव महसूस करता है| अंत में कहा जा सकता है कि कृष्णचंद्र जी ने देश-समाज के प्रत्येक विषय पर रागनियाँ लिखी हैं किन्तु सामाजिक न्याय और जाति विमर्श भी उनकी रचनाओं का केंद्र बिंदु रहा है|

सन्दर्भ –
1. कवि कृष्णदास रोहणा ग्रंथावली, सं. डॉ. राजेन्द्र बडगूजर, अर्पित पब्लिकेसन्स, हरियाणा (2019)
2. कवि कृष्णचन्द्र रोहणा ग्रंथावली, सं. डॉ. राजेन्द्र बडगूजर, अक्षरधाम प्रकाशन, हरियाणा (2012)

लेखक
डॉ. दीपक
गाँव व डाकघर – सूंध, तहसील – तावडू, जिला- नूंह (हरियाणा) सम्पर्क- 9718385204
Email – dipakluhera@gmail.com

Language: Hindi
2 Likes · 167 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.

Books from डॉ. दीपक मेवाती

You may also like:
#शुभरात्रि
#शुभरात्रि
आर.एस. 'प्रीतम'
धरती मेरी स्वर्ग
धरती मेरी स्वर्ग
Sandeep Pande
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अब भी दुनिया का सबसे कठिन विषय
अब भी दुनिया का सबसे कठिन विषय "प्रेम" ही है
DEVESH KUMAR PANDEY
ढलता सूरज वेख के यारी तोड़ जांदे
ढलता सूरज वेख के यारी तोड़ जांदे
कवि दीपक बवेजा
पापा
पापा
Satish Srijan
वीर शहीदों की कुर्बानी...!!!!
वीर शहीदों की कुर्बानी...!!!!
Jyoti Khari
चार दिनों की जिंदगी है, यूँ हीं गुज़र के रह जानी है...!!
चार दिनों की जिंदगी है, यूँ हीं गुज़र के रह जानी है...!!
Ravi Malviya
*जिनके मन में माँ बसी , उनमें बसते राम (कुंडलिया)*
*जिनके मन में माँ बसी , उनमें बसते राम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
होंसला
होंसला
Shutisha Rajput
हाय रे महंगाई
हाय रे महंगाई
Shekhar Chandra Mitra
मेरे हिसाब से सरकार को
मेरे हिसाब से सरकार को
*Author प्रणय प्रभात*
अहं
अहं
Shyam Sundar Subramanian
मेरी माँ तू प्यारी माँ
मेरी माँ तू प्यारी माँ
Vishnu Prasad 'panchotiya'
रूठी हूं तुझसे
रूठी हूं तुझसे
Surinder blackpen
पालनहार
पालनहार
Buddha Prakash
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
Deepesh सहल
उदासी एक ऐसा जहर है,
उदासी एक ऐसा जहर है,
लक्ष्मी सिंह
The right step at right moment is the only right decision at the right occasion
The right step at right moment is the only right decision at the right occasion
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"विचित्रे खलु संसारे नास्ति किञ्चिन्निरर्थकम् ।
Mukul Koushik
भ्रमन टोली ।
भ्रमन टोली ।
Nishant prakhar
"तुम्हारे रहने से"
Dr. Kishan tandon kranti
Ye Sidhiyo ka safar kb khatam hoga
Ye Sidhiyo ka safar kb khatam hoga
Sakshi Tripathi
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
शिष्टाचार के दीवारों को जब लांघने की चेष्टा करते हैं ..तो दू
DrLakshman Jha Parimal
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शायरी
शायरी
goutam shaw
अज्ञात के प्रति-1
अज्ञात के प्रति-1
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शाकाहार बनाम धर्म
शाकाहार बनाम धर्म
मनोज कर्ण
कमीना विद्वान।
कमीना विद्वान।
Acharya Rama Nand Mandal
हसीन तेरी सूरत से मुझको मतलब क्या है
हसीन तेरी सूरत से मुझको मतलब क्या है
gurudeenverma198
Loading...