Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2024 · 1 min read

कविता

कविता
आये हमारे पूर्वज सत्कार कीजिये।
सेवा व श्रद्धा पूर्वक सत्कार कीजिये।
इनसे हमें मिला है आज नाम कुल व वंश।
रक्त धमनियों में इनका हम हैं इनके अंश।
तर्पण के पुण्यकर्म को स्वीकार कीजिये।
आये हमारे पूर्वज सत्कार कीजिये।1।
आशीष इनका पाके मिले मान यश व बल।
श्रद्धा से श्राद्ध कीजिये आया शुभ ये पल।
कुछ तो समय निकालिये उपकार कीजिये।
आये हमारे पूर्वज सत्कार कीजिये।2।
पंद्रह दिनो में ईश्वर भी इनके साथ हैं।
खुश हैप्रभु भी इनका अगर सर पे हाथहै।
ऋण सेवा से उतारिये न,इंकार कीजिये।
आये हमारे पूर्वज सत्कार कीजिये।4।

नमिता शर्मा

Language: Hindi
85 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
Seema Garg
अपनापन ठहरा है
अपनापन ठहरा है
Seema gupta,Alwar
माॅं का जाना
माॅं का जाना
Rashmi Sanjay
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
सेवा कार्य
सेवा कार्य
Mukesh Kumar Rishi Verma
निभाने को यहाँ अब सब नए रिश्ते निभाते हैं
निभाने को यहाँ अब सब नए रिश्ते निभाते हैं
अंसार एटवी
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
डॉ. दीपक बवेजा
खूब ठहाके लगा के बन्दे
खूब ठहाके लगा के बन्दे
Akash Yadav
जग के जीवनदाता के प्रति
जग के जीवनदाता के प्रति
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मरने के बाद करेंगे आराम
मरने के बाद करेंगे आराम
Keshav kishor Kumar
संविधान के पहरेदार
संविधान के पहरेदार
Shekhar Chandra Mitra
"यह कैसा दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
*तिरंगा (बाल कविता)*
*तिरंगा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
रामजी हमारा एहसान मानते हैं
रामजी हमारा एहसान मानते हैं
Sudhir srivastava
पेड़ लगाओ एक - दो, उम्र हो रही साठ.
पेड़ लगाओ एक - दो, उम्र हो रही साठ.
RAMESH SHARMA
सब के सब
सब के सब
Dr fauzia Naseem shad
- रिश्तों से आजकल लोग गरीब हो गए -
- रिश्तों से आजकल लोग गरीब हो गए -
bharat gehlot
बेवजह यूं ही
बेवजह यूं ही
Surinder blackpen
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ,
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ,
Ashwini sharma
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
सत्ता को भूखे बच्चों की याद दिलाने आया हूं।
Abhishek Soni
इस ज़माने में, ऐसे भी लोग हमने देखे हैं।
इस ज़माने में, ऐसे भी लोग हमने देखे हैं।
श्याम सांवरा
यादों की कसक
यादों की कसक
Sakhi
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
Neelofar Khan
सृजन
सृजन
अनिल मिश्र
*
*"परछाई"*
Shashi kala vyas
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
Kuldeep mishra (KD)
मैं मंज़ूर हुँ उसे , जिसने मुझे बनाया
मैं मंज़ूर हुँ उसे , जिसने मुझे बनाया
पूर्वार्थ
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
Sarfaraz Ahmed Aasee
कभी कभी
कभी कभी
surenderpal vaidya
नहीं है प्रेम जीवन में
नहीं है प्रेम जीवन में
आनंद प्रवीण
Loading...