कल है हमारा
गर्दिश में जो छिपा पड़ा हूँ
आसमान का हूँ मैं तारा
बीते कल ने साथ जो छोड़ा
आने वाला कल है हमारा
–कुंवर सर्वेंद विक्रम सिंह
★स्वरचित रचना
★©️®️सर्वाधिकार सुरक्षित
गर्दिश में जो छिपा पड़ा हूँ
आसमान का हूँ मैं तारा
बीते कल ने साथ जो छोड़ा
आने वाला कल है हमारा
–कुंवर सर्वेंद विक्रम सिंह
★स्वरचित रचना
★©️®️सर्वाधिकार सुरक्षित