कल आज कल

अस्ताचल जाता सूरज मैं,
तुम पूर्व के उगते रवि प्रबल।
मैं बीते कल का कुछ पल हूँ,
तुम आने वाले कल का बल।
हम दोनों खड़े हैं आज में पर,
वर्तमान नहीं कभी रुकता है।
सम काल को जो जो चुन लेता,
अन आगत में नहीं झुकता है।
तुमसे इस बात का वादा है,
मेरा अनुभव तुमसे ज्यादा है।
तुममें पूरित है जोश अधिक,
मुझमें परिपूरित होश अधिक।
वैसे तो एक अतीता हूँ,
फिर भी कतई नहीं रीता हूँ।
भले थोड़ा थोड़ा बीता हूँ,
संघर्ष में सदैव जीता हूँ।
पद चिन्हों को तुम मत छोड़ों,
किसी और दिशा को न मोड़ों।
दाना दाना बन जाती राशि,
मंजिल मिलती मिटती उदासि।
जीवन का बीता कल है व्यर्थ।
वर्तमान से निकले सकल अर्थ।
जिसने है आज को अपनाया।
वही कल को कल का फल पाया।