Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2022 · 1 min read

*कल्पवृक्ष (बाल कविता/कुंडलिया)*

*कल्पवृक्ष (बाल कविता/कुंडलिया)*
_____________________________
हम बच्चों को दो प्रभो ,कल्पवृक्ष उपहार
माँगें उससे टॉफियाँ , चूरन और अचार
चूरन और अचार , रोज गुब्बारे पाएँ
पकड़ें उसकी डोर ,व्योम में उड़-उड़ जाएँ
कहते रवि कविराय ,भेज दो हम सच्चों को
कल्पवृक्ष दो भेज ,स्वर्ग से हम बच्चों को
—————————–
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*कल्पवृक्ष =* इच्छा पूरी करने वाला स्वर्ग का एक वृक्ष
*व्योम =* आकाश ,अंतरिक्ष ,आसमान

98 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.

Books from Ravi Prakash

You may also like:
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
यदि सफलता चाहते हो तो सफल लोगों के दिखाए और बताए रास्ते पर च
यदि सफलता चाहते हो तो सफल लोगों के दिखाए और बताए रास्ते पर च
dks.lhp
बालकनी में चार कबूतर बहुत प्यार से रहते थे
बालकनी में चार कबूतर बहुत प्यार से रहते थे
Dr Archana Gupta
मेंटल
मेंटल
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
सिपाही
सिपाही
Buddha Prakash
जलने वालों का कुछ हो नहीं सकता,
जलने वालों का कुछ हो नहीं सकता,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
■एक टिकट : सौ निकट■
■एक टिकट : सौ निकट■
*Author प्रणय प्रभात*
पापा की परी
पापा की परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
Satish Srijan
Rap song 【5】
Rap song 【5】
Nishant prakhar
माँ का महत्व
माँ का महत्व
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कभी कभी खुद को खो देते हैं,
कभी कभी खुद को खो देते हैं,
Ashwini sharma
Budhape ki lathi samjhi
Budhape ki lathi samjhi
Sakshi Tripathi
बदला सा......
बदला सा......
Kavita Chouhan
" लक्ष्य सिर्फ परमात्मा ही हैं। "
Aryan Raj
पहाड़ी भाषा काव्य ( संग्रह )
पहाड़ी भाषा काव्य ( संग्रह )
श्याम सिंह बिष्ट
क्या ढूढे मनुवा इस बहते नीर में
क्या ढूढे मनुवा इस बहते नीर में
rekha mohan
“POLITICAL THINKING COULD BE ALSO A HOBBY”
“POLITICAL THINKING COULD BE ALSO A HOBBY”
DrLakshman Jha Parimal
ज़हर ही ज़हर है और जीना भी है,
ज़हर ही ज़हर है और जीना भी है,
Dr. Rajiv
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
***
*** " हमारी इसरो शक्ति...! " ***
VEDANTA PATEL
अक्षय तृतीया ( आखा तीज )
अक्षय तृतीया ( आखा तीज )
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐अज्ञात के प्रति-143💐
💐अज्ञात के प्रति-143💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आत्मा शरीर और मन
आत्मा शरीर और मन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
काश़ वो वक़्त लौट कर
काश़ वो वक़्त लौट कर
Dr fauzia Naseem shad
मैं हूँ ना
मैं हूँ ना
gurudeenverma198
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
Manu Vashistha
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
जलाने दो चराग हमे अंधेरे से अब डर लगता है
Vishal babu (vishu)
शे'र
शे'र
Anis Shah
*थियोसॉफिकल सोसायटी  से मेरा संपर्क*
*थियोसॉफिकल सोसायटी से मेरा संपर्क*
Ravi Prakash
Loading...