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23 Aug 2024 · 1 min read

कलाकार

तुम्हारा संगीत सुना
मेरी आंखें बह निकली
मन धुल गया
सारे ज्वार थम गए
कितनी विस्तृत है
तुम्हारी आत्मा
जो छू जाती है
सब परचित अपरचितों को
तुम कलाकार हो
मनुष्यता का परिष्कृत रूप
तुम्हें प्रणाम !

शशि महाजन- लेखिका

Language: Hindi
31 Views
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