Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2023 · 1 min read

कलयुगी दोहावली

18. कलयुगी दोहावली

सॉई इतना दीजिए, चौदह पीढ़ी खाए ।
कोठी ऐसी हो प्रभू करे पड़ोसी हाए ।।

बकरी पाती खात है, ताको मानुष खाए ।
मानुष मानुष खात है, तबहॅू स्वर्ग सिधाए ।।

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े सहमे और सकुचाए ।
क्या जाने किस केस में विद्यार्थी फॅस जाए ।।

जनता करे न चाकरी, नेता करे न काम ।
कोई चारा खा गए, कोई बने सुखराम ||

वृक्ष न देते छाँव अब नदी न देती नीर ।
साधु संत विष घोलते नेता देते पीर ।।

फोर्स फोर्स बोफोर्स सब बरसन से चिल्लाए ।
राजनीति के बादरा, कबहॅू बरस न पाए ।।

घूस करारी काट के बिल्डिंग लई बनाए ।
माली चौकीदार और कुत्ता ही रह पाए ।।

मात पिता का संग अब जोरू संग न भाए ।
चरण सासु के पूजते साली संग लुभाए ||

कूकुर ऐसा पालिए दूध जलेबी खाए ।
आवत देखे चोर को चार कोस भग जाए ।।
**********
प्रकाश चंद्र , लखनऊ
IRPS (Retd)

1 Like · 357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Prakash Chandra
View all
You may also like:
ग्यारह होना
ग्यारह होना
Pankaj Bindas
“जब से विराजे श्रीराम,
“जब से विराजे श्रीराम,
Dr. Vaishali Verma
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
Dr.Pratibha Prakash
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
!..............!
!..............!
शेखर सिंह
प्रेम मोहब्बत इश्क के नाते जग में देखा है बहुतेरे,
प्रेम मोहब्बत इश्क के नाते जग में देखा है बहुतेरे,
Anamika Tiwari 'annpurna '
"कष्ट"
नेताम आर सी
जवाब कौन देगा ?
जवाब कौन देगा ?
gurudeenverma198
"तारीफ़"
Dr. Kishan tandon kranti
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
Manisha Manjari
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
“Mistake”
“Mistake”
पूर्वार्थ
धारण कर सत् कोयल के गुण
धारण कर सत् कोयल के गुण
Pt. Brajesh Kumar Nayak
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* दिल के दायरे मे तस्वीर बना दो तुम *
* दिल के दायरे मे तस्वीर बना दो तुम *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मानव निर्मित रेखना, जैसे कंटक-बाड़।
मानव निर्मित रेखना, जैसे कंटक-बाड़।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*काले-काले बादल नभ में, भादो अष्टम तिथि लाते हैं (राधेश्यामी
*काले-काले बादल नभ में, भादो अष्टम तिथि लाते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
ज्ञानवान  दुर्जन  लगे, करो  न सङ्ग निवास।
ज्ञानवान दुर्जन लगे, करो न सङ्ग निवास।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
*प्रणय प्रभात*
गीत- चले आओ मिले तुमसे...
गीत- चले आओ मिले तुमसे...
आर.एस. 'प्रीतम'
राजनीती
राजनीती
Bodhisatva kastooriya
"जो खुद कमजोर होते हैं"
Ajit Kumar "Karn"
जिन्दगी में फैंसले और फ़ासले सोच समझ कर कीजिएगा !!
जिन्दगी में फैंसले और फ़ासले सोच समझ कर कीजिएगा !!
Lokesh Sharma
महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
Neeraj Mishra " नीर "
अल्प इस जीवन में
अल्प इस जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
संघर्ष
संघर्ष
विजय कुमार अग्रवाल
*लू के भभूत*
*लू के भभूत*
Santosh kumar Miri
कविता - शैतान है वो
कविता - शैतान है वो
Mahendra Narayan
ପିଲାଦିନ ସଞ୍ଜ ସକାଳ
ପିଲାଦିନ ସଞ୍ଜ ସକାଳ
Bidyadhar Mantry
Loading...