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31 Jul 2024 · 1 min read

कलम की ताक़त

कलम की ताक़त के आगे तलवार कुछ नहीं
प्यार के सामने नफ़रत की दीवार कुछ नहीं

जिस कलम से पहला प्रेम पत्र लिखा था
उस कलम के बदले सारा संसार कुछ नहीं

ज़ुबान सिल दे ज़ालिम, तो कलम चलती रहेगी
किसी शहंशाह का कोई फ़रमान कुछ नहीं

आजकल , है क़लम बिकने के दौर में
संभलो इसके बिना अभिमान कुछ नहीं

डा राजीव “सागरी “

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