कर न चर्चा हसीन ख्वाबों का।

गज़ल
2122…….1212……..22
कर न चर्चा हसीन ख्वाबों का।
छोड़ किस्सा पुरानी बातों का।
थाम कर हाथ साथ चलते थे,
मैं था रहबर तुम्हारी राहों का
कोई ठोकर नहीं लगी तुमको,
था सहारा हमारी बाहों का।
जिनकी उम्मीद दिल को है मेरे,
क्या हुआ उन हसीन वादों का,
इक निशानी ही पास है मेरे,
इक झरोखा है तेरी यादों का।
तेरे खातिर वो गुनगुनाता था,
इक खजाना है प्रेम गीतों का।
दिल बहलाता है तेरे बिन प्रेमी,
शुक्रिया प्यारे प्यारे सपनों का।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी