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15 Sep 2024 · 1 min read

कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो

कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
ताकने वालों को ताकने दो

लोग मेरी सूरत को कम आंकते हैं
तो क्या हर्ज है मुझे
अरे ! सूरत में क्या रखा है
ये तसल्ली है मुझे
मेरी सीरत तो भली है

उनकी फितरत है नुक्श निकालने की
मैं क्यों फिक्र करूँ
आलोचक हैं तो अच्छा है
ये इंसानियत है जो
ये उन्ही की तो मेहरबानी है

अपनी प्रतिभा को छिपाना ठीक नहीं
आगे बढ़ो ना रूको
कहना है जिसे जो कहने दो
अपने मन की करो
वरना पछताओगे वक्त गुजरने पर

‘V9द’ गिरते हैं वही जो सवार होते हैं
तो फिर डरना कैसा
हाथ की रेखाएं कुछ भी कहें
कर्म ना छोड़ो कभी
मुँह ताकेंगे तेरा कम आंकने वाले

स्वरचित
V9द चौहान

2 Likes · 50 Views
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