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22 Sep 2016 · 1 min read

कभी

वक्त वापस वो चला आया कभी
घाव सारे दे गया ताजा कभी

फिर चमन तुमसे प्रश्न पूछे यहीं
तू न क्यों वापस चला आया कभी

खून तेरा जब बहेगा आज जो
क्रान्ति फिर कोई नई लाया कभी

मान मेरा जो किया भंग आपने
क्यों न लूँ तुमसे यहाँ बदला कभी

प्यार हमको वो करेगा आज तो
हाथ सिर पर मैं फिरा दूँगा कभी

इश्क मे उसका हुआ बेहाल अब
वो सहन कर बात मानेगा कभी

डॉ मधु त्रिवेदी

68 Likes · 463 Views
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