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14 Sep 2024 · 1 min read

कभी ख़ुशी कभी ग़म

बरसता है, फिर ज़्यादा बरस जाता है ,
कभी कोई चंद बूँदों को तरस जाता है ।

किसी को दूसरों से फुर्सत नहीं मिलती ,
किसी का वक़्त अपने में ठहर जाता है।

चाँद सितारे आसमाँ कभी साथ चलते हैं
कभी पथरीली राह, कदम ठहर जाता है l

ज़िंदगी लुत्फ़ है , कभी दिल्लगी भी ,
कभी अंदाज ए ज़िंदगी सहम जाता है ll

डा राजीव “सागरी”

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