Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2023 · 1 min read

*कभी कभी यह भी होता है, साँस न वापस आती (गीत )*

कभी कभी यह भी होता है, साँस न वापस आती (गीत )
■■■■■■■■■■■■■■■■■
कभी कभी यह भी होता है ,साँस न वापस आती
(1)
कितनी सस्ती होती साँसें ,मुफ्त हर समय पाते
बिना यत्न के साँस ले रहे ,और छोड़ते जाते
नहीं खरीदारी पैसों से , साँसों की हो पाती
(2)
साँसों का सब खेल चल रहा ,इनकी ताकत जानो
यह अनमोल मिली हैं इनकी, कीमत को पह‌चानो
साँसों की सुर-ताल धन्य वह, जिनके मन को भाती
(3)
कभी-कभी दो साँसें लेना, एक युद्ध हो जाता
लगता जैसे पर्वत पर, ऊॅंचे चढ़ने से नाता
क्रिया सहज यह साँसों-वाली, उस क्षण रही डराती
कभी-कभी यह भी होता है, साँस न वापस आती
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
■ नाकारों से क्या लगाव?
■ नाकारों से क्या लगाव?
*Author प्रणय प्रभात*
देखो
देखो
Dr.Priya Soni Khare
वो भी क्या दिन थे
वो भी क्या दिन थे
shabina. Naaz
Book of the day: ख़्वाबों से हकीकत का सफर
Book of the day: ख़्वाबों से हकीकत का सफर
Sahityapedia
ख्वाहिशों का अम्बार
ख्वाहिशों का अम्बार
Satish Srijan
*
*"रोटी"*
Shashi kala vyas
🔥वक्त🔥
🔥वक्त🔥
सुरेश अजगल्ले"इंद्र"
Blood relationships sometimes change
Blood relationships sometimes change
pratibha5khatik
*पिता  (कुंडलिया)*
*पिता (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आता है याद सबको ही बरसात में छाता।
आता है याद सबको ही बरसात में छाता।
सत्य कुमार प्रेमी
क्या होता है पिता
क्या होता है पिता
gurudeenverma198
मेरी साँसों से अपनी साँसों को - अंदाज़े बयाँ
मेरी साँसों से अपनी साँसों को - अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
क्योंकि मैं किसान हूँ।
क्योंकि मैं किसान हूँ।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
मनुज शरीरों में भी वंदा, पशुवत जीवन जीता है
मनुज शरीरों में भी वंदा, पशुवत जीवन जीता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मंद मंद बहती हवा
मंद मंद बहती हवा
Soni Gupta
जाति-पाति देखे नहीं,
जाति-पाति देखे नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
उलझनें हैं तभी तो तंग, विवश और नीची  हैं उड़ाने,
उलझनें हैं तभी तो तंग, विवश और नीची हैं उड़ाने,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरी मां।
मेरी मां।
Taj Mohammad
देखा है जब से तुमको
देखा है जब से तुमको
Ram Krishan Rastogi
परिवार के लिए
परिवार के लिए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
श्याम सिंह बिष्ट
बिहार एवं झारखण्ड के दलक कवियों में विगलित दलित व आदिवासी-चेतना / मुसाफ़िर बैठा
बिहार एवं झारखण्ड के दलक कवियों में विगलित दलित व आदिवासी-चेतना / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
बेचू
बेचू
Shekhar Chandra Mitra
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बे'क़रारी का पूछ न आलम
बे'क़रारी का पूछ न आलम
Dr fauzia Naseem shad
గురువు
గురువు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
भ्रूणहत्या
भ्रूणहत्या
Neeraj Agarwal
💐अज्ञात के प्रति-59💐
💐अज्ञात के प्रति-59💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
श्री राम का अन्तर्द्वन्द
श्री राम का अन्तर्द्वन्द
Paras Nath Jha
Loading...