कभी आना कभी जाना (हिंदी गजल/गीतिका)

कभी आना कभी जाना (हिंदी गजल/गीतिका)
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लगा रहता है दौलत का ,कभी आना कभी जाना
न हो मायूस जाने से ,जो आए तो न इतराना।।1
हजारों मुश्किलें माँ-बाप की सेवा में आती हैं
बहुत आसान है फोटो के ऊपर हार पहनाना ।।2
हम्हीं ने चुन के भेजा था, गलत लोगों को जितवा कर
निकम्मे हो रहे साबित वो ,तो अब कैसा पछताना ।।3
चले जाते हैं दुनिया से जो, अक्सर याद आते हैं
कहाँ आसान होता है, किसी को यों भुला पाना।।4
जरा-सी बात पर रिश्तों में पड़ जाती दरारें हैं
कहाँ तक उन दरारों को भरोगे तुम भी रोजाना ।5
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 999 761 5451