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24 Dec 2022 · 1 min read

*कब जाने कहाँ किस ओर मुड़ना है(मुक्तक)*

*कब जाने कहाँ किस ओर मुड़ना है(मुक्तक)*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
कभी मिलना किसी से है, कभी मिलकर बिछुड़ना है
किसे मालूम है कब जिंदगी में किससे जुड़ना है
सफर की हर सड़क जीवन में सीधी ही नहीं होती
लिखा किस्मत में कब जाने कहाँ किस ओर मुड़ना है
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
31 Views
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