*कठोपनिषद की कथा पर आधारित एक गीत*

*कठोपनिषद की कथा पर आधारित एक गीत*
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*नचिकेता ने यम से मॉंगे, सुनो तीन वरदान*
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नचिकेता ने यम से मॉंगे, सुनो तीन वरदान
1
पहला वर था गॉंठ परस्पर पड़ी हुई खुल जाए
संबंधों में मिश्री-सी मादक मिठास घुल जाए
पिता पुनः वात्सल्य, नेह से हमको करें प्रदान
2
यह वरदान प्रथम बतलाता जग में रहना सीखो
आपस में आत्मीय भाव में डूबे हर दिन दीखो
सदा जन्म के पावन रिश्तों को देना सम्मान
3
अग्नि-क्रिया का ज्ञान दूसरा वर था जग को पाना
लौकिक संसाधन को लेकर संग राह पर जाना
यह वर बतलाता मत समझो जग को तुच्छ समान
4
आत्म-ज्ञान का वर जब मॉंगा, यम थे खुद चकराए
आत्मज्ञान को समझाने में असमंजस में आए
बोले चॉंदी-सोना ले लो, बन जाओ धनवान
5
नचिकेता ने कहा न नश्वर मुझे वस्तु पाना है
यह सब होतीं नष्ट जगत् में यह ही सच जाना है
आत्म-ज्ञान अक्षय को पाने का होता अभियान
6
आत्म-ज्ञान वह ज्ञान जगत का, हर रहस्य सुलझाता
आवागमन-चक्र से जिस से, छुटकारा मिल जाता
जो भीतर-बाहर है उसका, होता सम्यक् ज्ञान
7
छिपा हुआ तन के भीतर, यों आत्म-तत्त्व को पाया
योग क्रियात्मक करके यम ने सब प्रकार समझाया
हुआ इस तरह नश्वर तन-शाश्वत आत्मा का गान
नचिकेता ने यम से मॉंगे सुनो तीन वरदान
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451