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7 May 2024 · 1 min read

कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,

कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
हर पत्थर दिल इंसा उतना भी बुरा नहीं होता है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

Language: Hindi
64 Views
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