और न साजन तड़पाओ अब तुम

और न तड़पाओ साजन अब तुम,
और करीब में आ जाओ अब तुम।
सावन की यह पहली बरसात है,
बताओ और कहां जाओगे तुम।।
मत पूछो इस दिल में क्या रक्खा है,
बस तेरे ही दिल को छिपा रक्खा है।
चुरा ले न इसे मुझसे कभी कोई,
बड़ी हिफाज़त से इसे छिपा रक्खा है।।
मत जाओ अभी दिल भरा नही,
दिल मेरा जिंदा है अभी मरा नहीं।
अगले सावन में साथ मिले न मिले,
ये बात किसी को भी पता नही।।
सावन में जब बादल बरसता है,
मेरा मन मिलने को तरसता है।
कैसे समझाऊं इस दिल को मैं,
सारा जग देखकर मुझे हंसता है।।
मेरा दिल जला है और न जलाओ तुम,
दिल की लगी अगन को बुझाओ तुम।
कही ये दिल जलकर खाक न हो जाए,
आकर जल्दी इसको बुझाओ अब तुम।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम