ओ मेरी जान

ओ मेरी जान, नफरत नहीं है तुमसे।
चाहता हूँ तुमको, मैं सच्चे मन से।।
ओ मेरी जान————————-।।
मांगो नहीं तुम,इसका सबूत कोई।
तेरे अलावा नहीं, मेरी चाहत कोई।।
किसी और नहीं,आँखों में ख्वाब मेरे।
चाहे झगड़ता हूँ , अक्सर मैं तुमसे।।
ओ मेरी जान————————।।
मानता हूँ तेरा दिल,दुःखाया है मैंने।
बेवजह तुमको बहुत, सताया है मैंने।।
लेकिन लबों पे सिर्फ, तेरा ही नाम है।
मुझको तो प्यार है, एक सिर्फ तुमसे।।
ओ मेरी जान————————–।।
देखा चमन यह जो,लगाया है मैंने।
रोशन चिराग यह जो,किया है मैंने।।
समझता हूँ मैं तो, तुम्हें ही पवित्र।
बनाई है तेरी तस्वीर, मैंने दिल से।।
ओ मेरी जान———————–।।
जरूरत नहीं तेरे हुस्न और, दौलत की।
मुझको तो चाहत है, तेरी मोहब्बत की।।
करुंगा आबाद तुमको, अपनी कलम से।
करता हूँ वादा आज, यह मैं तुमसे।।
ओ मेरी जान————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)