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16 May 2023 · 1 min read

ओस की बूंद

प्रदूषण का पहला दोष, खत्म करें सुबह की ओस।

जब आएगा होश, पृथ्वी साथ छोड़ेगी बताए बिना हर रोज।

मिलती नहीं अब ओस, कहां नंगे पांव चले अब होगा मोतियाबिंद का रोग , आंखों की ज्योति बढ़ाएं सुबह की ओस।

ऋतु आए ऋतु जाए अब हम सुंदर प्रकृति ना देख पाए, प्रदूषण सब निगल जाए।

दोष शासन पर शासन प्रजा पर, मढ कर अपनी जान बचाएं।

मनुष्य पशु पक्षियों के हक की सुबह की ओस भी खुद खा जाए।

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