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9 Jan 2023 · 1 min read

ओढ़ो गरम रजाई (बाल कविता )

ओढ़ो गरम रजाई (बाल कविता )
■■■■■■■■■■■■■■■■■
सूरज दादा नहीँ दीखते, नहीँ धूप हैँ लाते
आसमान में छाए कोहरे में ही छुप- छुप जाते

छुट्टी है विद्यालय की, अब करना नहीँ पढाई
सुबह उठो नौ बजे, रात-भर ओढ़ो गरम रजाई

दिन मेँ भारी स्वेटर पहने. मोजे गरम चढ़ाए
अंगीठी के पास बैठते, फिर भी हैँ ठिठुराए
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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