ऐ जोश क्या गरज मुझे हूरो-कसूर से, मेरा वतन मेरे लिए जन्नत से ऐ जोश क्या गरज मुझे हूरो-कसूर से, मेरा वतन मेरे लिए जन्नत से कम नहीं…जोश मलसियानी