ऐसी ही है मेरी मोहब्बत

ऐसी ही है मेरी मोहब्बत, जैसे मैं हूँ जी आजाद।
सच ऐसी ही उम्दा है वह, जैसे मैं हूँ जिंदाबाद।।
ऐसी ही है मेरी मोहब्बत——————-।।
ना किसी से मुझको नफरत, ना कोई मेरा दुश्मन।
ऐसी ही आदत मेरी है, हमेशा रहेगी यह आबाद।।
ऐसी ही है मेरी मोहब्बत——————–।।
लगाता नहीं मैं कोई बंदिश, हर कोई बुलन्दी छूए।
ख्याल रखें लेकिन जमीं का, नहीं हो चमन बर्बाद।।
ऐसी ही है मेरी मोहब्बत——————–।।
जिससे भी प्यार है मुझको, वह पवित्र और सच्चा है।
इल्जाम उस पर लगाना नहीं, नहीं मिटेगा वर्षों बाद।।
ऐसी ही है मेरी मोहब्बत——————-।।
मत समझो मुझको मगरूर, कोई खूनी और सौदागर।बहुत वफ़ा हूँ मैं भी वतन से, मैं भी हूँ इसकी औलाद।।
ऐसी ही है मेरी मोहब्बत——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)