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5 Sep 2022 · 1 min read

ए’तिराफ़-ए-‘अहद-ए-वफ़ा

दर्दे दिल दे गया वो ही ,
मेरी वफ़ाओं का सिला दे गया वो ही,
चाहा था जिसे हमने ज़िंदगी से बढ़कर ,
चला गया मुंह फेर वो ही अजनबी बनकर ,
हसरतों के आशियाने टूट कर बिखर गए ,
बहारों के ख़्वाब ख़िज़ाँओं मे बदल गए ,
तोड़कर अहदे वफ़ा हमें भुला,
वो किसी और के हो लिए,
उन्हें हम ना भुला सके ,
ए’तिराफ़-ए-‘अहद-ए-वफ़ा में
सिर्फ उन्ही के होकर रह गए ,

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 2 Comments · 71 Views

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