हर किसी का एक मुकाम होता है,
హాస్య కవిత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
रखी हुई है अनमोल निशानी, इक सुन्दर दुनिया की,
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
लक्ष्य है जो बनाया तूने, उसकी ओर बढ़े चल।
आज दिल ये तराना नहीं गायेगा,
" अलबेले से गाँव है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जिस कदर उम्र का आना जाना है
बुंदेली दोहे- नतैत (रिश्तेदार)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'