Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Sep 2022 · 1 min read

एक सुन्दरी है

एक सुन्दरी है
Just सामने
शरीर क्या ?
सबकुछ अच्छा!
नयनों की बिंदिया
भौंह की ज़वानी
केश की क्या
लगती चार चांदनी
बस समय का आलम है
पर है नहीं
वो तो पा ली
पर मैं नहीं
कोई और है
यौवन नहीं उसे
हॉफ पार भी नहीं
दो फूल भी इनके
फिर भी
दिल चाहता है
और मन भी
बस मिलूं हिय से
हिय से नहीं किन्तु
प्रेम की गहराई से
अपनी चरम पर
सृजन की छांव
फिर से चंचल करूं

प्रेम है या हवस!
क्या शरीर की प्रतिक्रिया..?

Language: Hindi
Tag: कविता
4 Likes · 1 Comment · 120 Views
You may also like:
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों के तीरों से, जब आत्मा छलनी की जाती है।
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों...
Manisha Manjari
Mohd Talib
Mohd Talib
Mohd Talib
अतीत का अफसोस क्या करना।
अतीत का अफसोस क्या करना।
पीयूष धामी
छोड़ जाएंगे
छोड़ जाएंगे
रोहताश वर्मा मुसाफिर
💐प्रेम कौतुक-342💐
💐प्रेम कौतुक-342💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दुनिया एक मेला है
दुनिया एक मेला है
VINOD KUMAR CHAUHAN
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सोचता हूँ
सोचता हूँ
Satish Srijan
विपक्ष की लापरवाही
विपक्ष की लापरवाही
Shekhar Chandra Mitra
हरित वसुंधरा।
हरित वसुंधरा।
Anil Mishra Prahari
विचार
विचार
Shyam Pandey
गुमराह होने के लिए, हम निकल दिए ,
गुमराह होने के लिए, हम निकल दिए ,
Smriti Singh
हिंदी दोहा विषय- विजय*
हिंदी दोहा विषय- विजय*
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मंदिर का पत्थर
मंदिर का पत्थर
Deepak Kohli
जीवन व्यर्थ नही है
जीवन व्यर्थ नही है
अनूप अम्बर
Har subha uthti hai ummid ki kiran
Har subha uthti hai ummid ki kiran
कवि दीपक बवेजा
समँदर को यकीं है के लहरें लौटकर आती है
समँदर को यकीं है के लहरें लौटकर आती है
'अशांत' शेखर
आईना
आईना
KAPOOR IQABAL
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
👉आज की बात :--
👉आज की बात :--
*Author प्रणय प्रभात*
गाछ (लोकमैथिली हाइकु)
गाछ (लोकमैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
✍️पत्थर का बनाना पड़ता है ✍️
✍️पत्थर का बनाना पड़ता है ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
शीर्षक :- आजकल के लोग
शीर्षक :- आजकल के लोग
Nitish Nirala
जरूरत उसे भी थी
जरूरत उसे भी थी
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
आशा निराशा
आशा निराशा
सूर्यकांत द्विवेदी
*पिचकारी लेने गया, जंगल में जब शेर (कुंडलिया)*
*पिचकारी लेने गया, जंगल में जब शेर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मेरी सिरजनहार
मेरी सिरजनहार
कुमार अविनाश केसर
ढलती हुई शाम
ढलती हुई शाम
Dr fauzia Naseem shad
चिरकाल तक लहराता अपना तिरंगा रहे
चिरकाल तक लहराता अपना तिरंगा रहे
Suryakant Angara Kavi official
सांसें थम सी गई है, जब से तु म हो ।
सांसें थम सी गई है, जब से तु म हो...
Chaurasia Kundan
Loading...