Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2016 · 1 min read

एक बार फिर संयमित हो रही हूं

सांकेतिक व्यंग
एक बार फिर ……

आज फिर संयमित हो रही हूं
संगठित होकर सारगरभित हो रही हूं

स्वयं की लेखनी को स्फुटित कर
भीगे लफ्जो को अल्फाज दे रही हूं

व्यथितऔर आहत मन को टोह रही हूं
वक्त की कूर्रता को मात दे रही हू

हॉ आज फिर एक बार संयमित हो रही हूं
कुछ नया कु छ आसमानी करने को उनमुख हो रही हूं

शिछित की अशिछा से
ग्यानी की अग्यानता से
धनी की निर्धनता से
बस जरा कुठित हो रही हूं
हॉ सच ..
आज एक बार फिर संयमित हो रही हूं

किसी गरीब की बेबसी
किसी गुरूर की लाचारी
और किसी डिग्री की बेरोजगारी
को देखकर द्रवित हो रही हूं …
बेपनाह मेहनत को
तिल तिल मरते देख
आहत हो रही हूं
हॉ सचमुच एक बार फिर
संयमित हो रही हूं
संगठित होकर सार गर्भित हो रही हूं ……

Language: Hindi
317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from NIRA Rani
View all
You may also like:
उलझन
उलझन
Anamika Singh
बुद्ध मैत्री है, ज्ञान के खोजी है।
बुद्ध मैत्री है, ज्ञान के खोजी है।
Buddha Prakash
आवत हिय हरषै नहीं नैनन नहीं स्नेह।
आवत हिय हरषै नहीं नैनन नहीं स्नेह।
sheelasingh19544 Sheela Singh
रिश्ते-नाते स्वार्थ के,
रिश्ते-नाते स्वार्थ के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बाढ़ का आतंक
बाढ़ का आतंक
surenderpal vaidya
जीवन भी एक विदाई है,
जीवन भी एक विदाई है,
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
दो दिन का प्यार था छोरी , दो दिन में ख़त्म हो गया |
दो दिन का प्यार था छोरी , दो दिन में ख़त्म हो गया |
The_dk_poetry
सपनों का महल
सपनों का महल
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
"हाथों की लकीरें"
Ekta chitrangini
महसूस होता है जमाने ने ,
महसूस होता है जमाने ने ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
वफा से वफादारो को पहचानो
वफा से वफादारो को पहचानो
goutam shaw
मां
मां
Umender kumar
दोहा छन्द
दोहा छन्द
नाथ सोनांचली
डगर कठिन हो बेशक मैं तो कदम कदम मुस्काता हूं
डगर कठिन हो बेशक मैं तो कदम कदम मुस्काता हूं
VINOD KUMAR CHAUHAN
✍️कलम ही काफी है ✍️
✍️कलम ही काफी है ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
अंदाज़े शायरी
अंदाज़े शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
তুমি সমুদ্রের তীর
তুমি সমুদ্রের তীর
Sakhawat Jisan
मेरे मुक्तक
मेरे मुक्तक
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
खुदकुशी नहीं, इंकलाब करो
खुदकुशी नहीं, इंकलाब करो
Shekhar Chandra Mitra
आईने पर लिखे अशआर
आईने पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
गुजरे ज़माने वाले तुझे मैं क्या नाम दूं।
गुजरे ज़माने वाले तुझे मैं क्या नाम दूं।
Taj Mohammad
तन प्रसन्न - व्यायाम से
तन प्रसन्न - व्यायाम से
Sanjay ' शून्य'
गुरु चरण
गुरु चरण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बेटियां
बेटियां
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
*चलो देखने को चलते हैं, नेताओं की होली (हास्य गीत)*
*चलो देखने को चलते हैं, नेताओं की होली (हास्य गीत)*
Ravi Prakash
आगोश में रह कर भी पराया रहा
आगोश में रह कर भी पराया रहा
हरवंश हृदय
नए-नए हैं गाँधी / (श्रद्धांजलि नवगीत)
नए-नए हैं गाँधी / (श्रद्धांजलि नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
वैदेही से राम मिले
वैदेही से राम मिले
Dr. Sunita Singh
24 के लिए
24 के लिए
*Author प्रणय प्रभात*
" मीनू की परछाई रानू "
Dr Meenu Poonia
Loading...