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4 Dec 2022 · 1 min read

एक प्रेमिका की वेदना

तेरी मन मोहनी मूरत मन में बस गई,
तेरी प्रतीक्षा करते अंखियां थक गई।

ग्रीष्म ऋतु जाकर,शरद ऋतु भी आ गई,
न जाने कब आओगे अब तो हद हो गई।

आ जाओ मेरे सनम,रात बहुत हो गई,
जागते जागते सारी रात,यूंही कट गई।

आता नहीं चैन,अब तो राते ठंडी हो गई
बिन घटा के ये बदली अब तो बरस गई।

आ जाओ,अब तो सारी सीमाएं पार हो गई,
बिन देखे तुमको,ये अंखियां अब तो तरस गई।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 174 Views
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