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4 Feb 2023 · 1 min read

*एक दिवस सब्जी मंडी में (बाल कविता)*

एक दिवस सब्जी मंडी में (बाल कविता)
————————————————–
एक दिवस सब्जी मंडी में
जमकर छिड़ी लड़ाई,
आलू करने लगा जोर से
अपनी आप बड़ाई।

बोला मैं हरफनमौला हूँ
सब्जी मिक्स बनाता,
मेरे बिना न खाना कोई
कैसा भी बन पाता।

मुरझा गए बात को सुनकर
भिंडी और करेला ,
लौकी बैंगन लगे देखने
दाँए बाँए ठेला।

तब कद्दू ने आकर
सबका ही उत्साह बढ़ाया,
उठा हाथ से आलू को
ऊपर की तरफ चढ़ाया ।

बोला ज्यादा आलू राजा
जी घमंड मत करना,
तुम हो डायबिटीज बढ़ाते
करनी से कुछ डरना ।

खुद तो मोटे आलू हो
सबको मोटा करते हो,
जो तुमको ज्यादा खाता
सब सुंदरता हरते हो।

सुनकर कद्दू की लताड़
आलू भागा बेचारा ,
बोला लौकी और करेला
तुम जीतीं मैं हारा।।
————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451

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