एक दिन में इस कदर इस दुनिया में छा जाऊंगा,

एक दिन में इस कदर इस दुनिया में छा जाऊंगा,
जिस दिन अपना मनचाहा मुकाम पा आ जाऊंगा
खिड़कियां लगा लेने से रोशनी नहीं रुका करती
कीमत बता जाऊंगा जब किरदार में आ जाऊंगा
कवि दीपक सरल
एक दिन में इस कदर इस दुनिया में छा जाऊंगा,
जिस दिन अपना मनचाहा मुकाम पा आ जाऊंगा
खिड़कियां लगा लेने से रोशनी नहीं रुका करती
कीमत बता जाऊंगा जब किरदार में आ जाऊंगा
कवि दीपक सरल