*एक अकेला (कुंडलिया)*

*एक अकेला (कुंडलिया)*
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एक अकेला है दिया , एक अकेला बीज
सोचो जब यह चल दिए ,अद्भुत क्या यह चीज
अद्भुत क्या यह चीज ,पेड़ यह बने उजाले
चाबी रगड़ो रोज , खुलेंगे निश्चित ताले
कहते रवि कविराय , चलेगा पीछे मेला
हुई अगर शुरुआत , शुद्ध यदि एक अकेला
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
रचना तिथि : 22 दिसंबर 2021