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14 Aug 2021 · 1 min read

ऊर्ध्वङ्ग तिरङ्गा

प्रातः कालीन का विश्व जगा
देखो- देखो कितने है उत्साह
तिरङ्गा का शान ऊर्ध्वङ्ग जरा
बच्चें भी कर रहें इनके नमन

आन – बान – शान की दस्तूर अपना
अपना अम्बर सिन्धु धरा जहाँ
जीवन प्रभा चाँदनी हरियाली बनें
शपथ पथ समर्पण सर्वस्व रहें सदा

इतिहासों की यहीं धरोहर अपना
कई वीरों का आहुति रक्त धार चला
सरहद कुर्बानी के समर रङ्ग काया
हर कदम साँसों की लाश भला

दुल्हन दामन का श्रृङ्गार रचा
किन्तु वों भी सिन्दूर बूझ गयी
राखी बन्धन का आसरा कहाँ ?
माँ का आँचल भी सिन्धु में बह चला

परिन्दें भी अपना आँचल छोड़ चलें
लूट गये भारत की वों भी तस्वीरें
अखण्ड भारत का कसम टूटा जब
धूल की तरह हम भी बिखेर गए

जय हिन्द क्रान्ति दिवाने बढ़ चलें हम
अज़मत चमन छत्रछाया ध्वज धरोहर
आजादी स्वच्छन्द अमन, साहसी बनें
गूञ्ज रहा पुनीत, सत्य, सम्पन्न का सार

Language: Hindi
Tag: कविता
315 Views
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