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5 May 2024 · 1 min read

उस पद की चाहत ही क्या,

उस पद की चाहत ही क्या,
जो लिपटा हो गरीब के खून से
अपनी मेहनत समर्पित लगन से
मैं बैठा अपनी कर्मभूमि में सुकून से
स्वाभिमान ही मेरी पहचान है
खुद्दारी ही मेरी शान है

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