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28 Jul 2024 · 1 min read

उम्मीद बाक़ी है

ना उम्मीदी में कुछ उम्मीद बाक़ी हैं
राख हुए शोलों में आग बाक़ी है

कितने भी चुक गये हम, फिर भी
अभी जवानी का, खुमार बाक़ी है

मजबूरियाँ रहीं होंगी लौट जाने की
तय जो रास्ता किया, यादें बाक़ी हैं

लगा तो ये था, ख़त्म हुआ है रस्ता
वहम था, अभी सफ़र बहुत बाक़ी है

डा राजीव “सागरी”

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