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2 Aug 2021 · 1 min read

उफ्फ यह गर्मी (बाल कविता )

अ आ इ ई उ ऊ
ए ऐ ओ औ अं अः उहम, उहम
हाय गर्मी उफ्फ यह गर्मी
मुझे ना भाए यह गर्मी
जग का कैसा यह खेल निराला
ऋतुए करें हैं गड़बड़ घोटाला
चंदा मामा तुम जल्दी से आ जाओ
अपनी शीतल छाया हमें दे जाओ
सूरज चाचू ने हमको धो डाला
तरबतर कर दिया है
हमारा हर अंग शाला
बाहर निकलू मां मुझे डांटे
दिनभर कमरे में दिन है मैंने काटे
कहती बगल वाली मुनिया
सूरज चाचू से इतना क्यों घबराना
पिंटू तुम एसी कूलर घर पर लगवाना
आओ गली में ठंडी रस मलाई खाएंगे
सूरज चाचू को दिखा दिखा कर चीढ़ाएंगे
गर्मी हम यह दूर भगाएंगे ।

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