Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2023 · 1 min read

उन्हें नहीं मालूम

उन्हें लगता है कि वो ऐसा है उन्हें नहीं मालूम कि वो वैसा है।
उन्हें लगता है कि वो वैसा कमाता है, उन्हें नहीं मालूम वो कैसा कमाता है।
उन्हें लगता है वो उधर गया है, उन्हें नहीं मालूम वो इधर गया है
उन्हें लगता है उसके पास बहुत कुछ है, उन्हें नहीं मालूम कुछ बहुत है उसके पास।
उन्हें लगता है कि वो उधर जाता है, उन्हें नहीं मालूम वो किधर जाता है
उन्हें लगता है कि ये कुछ नहीं है, उन्हें नहीं मालूम बहुत कुछ है पास उसके।
उन्हें लगता है मामूली सा तो है वो, वे नहीं जानते है काफी हैं उसके भी।
उन्हें लगता है वो नहीं कर सकता, उन्हें नहीं मालूम वो छोड़ चुका है।
उन्हें लगता है कि भरोसे बैठा होगा, उन्हें नहीं मालूम भरोसे उसके भी बैठे हैं
उन्हें लगता है कुछ नहीं उसके पास, उन्हें नहीं मालूम क्या कुछ है उसके पास

37 Views
You may also like:
बहाना क्यूँ बनाते हो (जवाब -1)
बहाना क्यूँ बनाते हो (जवाब -1)
bhandari lokesh
जीवन अनमोल है।
जीवन अनमोल है।
जगदीश लववंशी
सब्र रख
सब्र रख
VINOD KUMAR CHAUHAN
दोहा
दोहा
नवल किशोर सिंह
पेड़
पेड़
Sushil chauhan
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर की तरह ब
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर...
Dr.Priya Soni Khare
एक दिन
एक दिन
Ranjana Verma
आंधियों से हम बुझे तो क्या दिए रोशन करेंगे
आंधियों से हम बुझे तो क्या दिए रोशन करेंगे
कवि दीपक बवेजा
💥सच कहा तो बुरा मान गए 💥
💥सच कहा तो बुरा मान गए 💥
Khedu Bharti "Satyesh"
एक ठोकर क्या लगी..
एक ठोकर क्या लगी..
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
💐प्रेम कौतुक-419💐
💐प्रेम कौतुक-419💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आप चेहरा बदल के मिलियेगा
आप चेहरा बदल के मिलियेगा
Dr fauzia Naseem shad
चांदनी की चादर।
चांदनी की चादर।
Taj Mohammad
नवरात्रि की शुभकामनाएँ। जय माता दी।
नवरात्रि की शुभकामनाएँ। जय माता दी।
Anil Mishra Prahari
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुंशी प्रेम चंद्र की कहानी नशा की समीक्षा
मुंशी प्रेम चंद्र की कहानी नशा की समीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*कृपा करें जगदीश 【कुंडलिया】*
*कृपा करें जगदीश 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
Pravesh Shinde
"पुष्प"एक आत्मकथा मेरी
Archana Shukla "Abhidha"
बेटियाँ
बेटियाँ
Shailendra Aseem
शिष्टाचार
शिष्टाचार
लक्ष्मी सिंह
क्षणिक स्वार्थ में हो रहे, रिश्ते तेरह तीन।
क्षणिक स्वार्थ में हो रहे, रिश्ते तेरह तीन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सरकार और नेता कैसे होने चाहिए
सरकार और नेता कैसे होने चाहिए
Ram Krishan Rastogi
जितना अता किया रब,
जितना अता किया रब,
Satish Srijan
नाराज़ जनता
नाराज़ जनता
Shekhar Chandra Mitra
सजनाँ बिदेशिया निठूर निर्मोहिया, अइले ना सजना बिदेशिया।
सजनाँ बिदेशिया निठूर निर्मोहिया, अइले ना सजना बिदेशिया।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#चाकलेटडे
#चाकलेटडे
सत्य कुमार प्रेमी
सुना था कि इंतज़ार का फल मीठा होता है।
सुना था कि इंतज़ार का फल मीठा होता है।
*Author प्रणय प्रभात*
सबतै बढिया खेलणा
सबतै बढिया खेलणा
विनोद सिल्ला
Loading...