* उदासी *

कुछ ऐसे हसीन लम्हें
जो गुजरे थे तेरे संग
मुमकिन हैं क्या लौटा पाओंगे…?
वो…आँखों के इशारो की बौछार
क्या फिर… से बरसा ओंगे…?
तेरे चेहरे की वो लालिमा
मुझे देख खिली थी फूलों की तरह
क्या… फिर से वो भाव प्रगट करोंगे..?
तेरी जुबाँ मुझे कहती थी कुछ और…
होठों से बयान होता था कुछ और….
क्या… था वो समझा पाओंगे…?
बदल गया सब कुछ हो गए अनजान
पर…. फिर भी हैं उम्मीद
क्या… वापस दोहरा पाओंगे…!??