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14 Sep 2022 · 1 min read

उठ मुसाफिर

उठ मुसाफिर

सूरज की हर पहली किरण मेरे दरवाजे पर दस्तक दे जाती है,
भोर भई उठ मुसाफिर, रस घोल जाती है।
मैं नादान, मान उसे ही अलार्म की घंटी,
उतार कश्ती बहते पानी में, मंजिल को निकल पड़ी।।

#Seematuhaina

Language: Hindi
1 Like · 144 Views
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