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26 Apr 2020 · 1 min read

((((उग्र भीड़))))

((((उग्र भीड़))))

ये उग्र होती भीड़,कुछ न करे विचार.
करे मनमानी जब,सब सरकारी तंत्र बेकार।

सच झुठ जाने बिना,करती हाहाकार.
हाथ पर हाथ धरे बैठे सब,जैसे कोहड़ी लाचार।

जान माल का रहम नही,करते भारी प्रहार.
हाथ पैर तोड़े सब,निकाली जान सरे बाजार।

रोक टोक कोई होती नही,सब के पास हथियार.
खड़ग, किरपान,लट्ठ,चाकू लिए,करते अत्याचार।

कैसा ये इंसाफ इनका,हो रही मारोमार.
तड़पा तड़पा करते क़त्ल कोई न रूप
इनका,न कोई आकार।

कोई न इनकी सभयता,कोई न इनका व्यवहार.
इंसान ही ज़ालिम होये,जब साथ मिले कई बेकार।

मजहबी नफरत कभी,कभी विरोधाभास की पतवार.
प्यार की कोई जुबान नही,कितने इनके अवतार।

कैसा ये जुनून इनका,कैसा देश प्यार.
जला,फूक रहे सब,सो रही सरकार,सो रही सरकार।

Language: Hindi
Tag: कविता
3 Likes · 4 Comments · 154 Views
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