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21 Aug 2021 · 1 min read

ईमान

ईमान
एक बेईमान सरे बाज़ार खड़ा था,
सामने बोरों में बंद ईमान पड़ा था।
न खरीदार था न ईमानदार था,
सभी का ईमान ज़मीन में गढ़ा था।
भरी भीड़ में दो चार ईमान बचाए थे,
हाथ धो पीछे उनके बेईमान पड़ा था।

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
1 Like · 207 Views
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