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9 Jul 2024 · 1 min read

इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।

गज़ल

2122/2122/2122/2
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
प्यार को बदनाम कर, सब लूट जाते हैं।1

दिल जिगर औ’र जान सबकुछ दे दिया जिसको,
राम जाने फिर उसे कैसे रुलाते हैं।2

आप जानें राम जानें, मैं न कुछ जानूं,
प्यार के ये चोचले, मुझको न आते हैं।3

ढूंढते हैं लोग जिनको मंदिरों में ही,
राम वो शबरी के जूंठे बेर खाते हैं।4

सीख देते हैं यही तो पूर्वज सबको,
पाप धोने के लिए गंगा नहाते हैं।5

ईश्वर होते निकट सबसे उन्हीं के जो,
दो निवाले भी गरीबों को खिलाते हैं।6

प्यार का जिनको नशा होता है वो ‘प्रेमी’,
जह्रर भी पीयूष सा पी कर दिखाते हैं।7

……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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