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30 Oct 2022 · 1 min read

*इतने दीपक चहुँ ओर जलें(मुक्तक)*

*इतने दीपक चहुँ ओर जलें(मुक्तक)*
________________________
इतने दीपक चहुँ ओर जलें, धरती पर रात न काली हो
खुशियों से मन महके सबका,कोना न कहीं पर खाली हो
अधरों पर गीत मधुर हों, ऋतु संगीत सुनाने वाली हो
चंदा के मोहताज न हों, दम पर अब अपने दिवाली हो
————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
61 Views

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