Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2023 · 1 min read

इतनी फुर्सत है कहां, जो करते हम जाप

इतनी फुर्सत है कहां, जो करते हम जाप
अपने अपने कर्म हैं, अपने अपने ताप
देख ईश कहने लगे, सुन धरती का हाल
मुँह पर सबके राम है, मन में केवल पाप।

सूर्यकांत

104 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

Books from सूर्यकांत द्विवेदी

You may also like:
आदमी की गाथा
आदमी की गाथा
कृष्ण मलिक अम्बाला
प्यार खुद में है, बाहर ढूंढ़ने की जरुरत नही
प्यार खुद में है, बाहर ढूंढ़ने की जरुरत नही
Sunita jauhari
# मंजिल के राही
# मंजिल के राही
Rahul yadav
Hum to har chuke hai tumko
Hum to har chuke hai tumko
Sakshi Tripathi
मातृ दिवस
मातृ दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दो शे'र ( अशआर)
दो शे'र ( अशआर)
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
किसको-किसको क़ैद करोगे?
किसको-किसको क़ैद करोगे?
Shekhar Chandra Mitra
सागर की हिलोरे
सागर की हिलोरे
Satpallm1978 Chauhan
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
Smriti Singh
सितम गर हुआ है।
सितम गर हुआ है।
Taj Mohammad
आंखे बाते जुल्फे मुस्कुराहटे एक साथ में ही वार कर रही हो,
आंखे बाते जुल्फे मुस्कुराहटे एक साथ में ही वार कर रही हो,
Vishal babu (vishu)
स्थायित्व (Stability)
स्थायित्व (Stability)
Shyam Pandey
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
" मेरी तरह "
Aarti sirsat
💐अज्ञात के प्रति-96💐
💐अज्ञात के प्रति-96💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुप्रभात..
सुप्रभात..
आर.एस. 'प्रीतम'
अगर उठ गए ये कदम तो चलना भी जरुरी है
अगर उठ गए ये कदम तो चलना भी जरुरी है
'अशांत' शेखर
"कथरी"
Dr. Kishan tandon kranti
52 बुद्धों का दिल
52 बुद्धों का दिल
Mr. Rajesh Lathwal Chirana
रिश्ता रस्म
रिश्ता रस्म
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अगर सक्सेज चाहते हो तो रुककर पीछे देखना छोड़ दो - दिनेश शुक्
अगर सक्सेज चाहते हो तो रुककर पीछे देखना छोड़ दो - दिनेश शुक्
dks.lhp
त्याग
त्याग
AMRESH KUMAR VERMA
बच्चे बोले दो दिवस, खेलेंगे हम रंग
बच्चे बोले दो दिवस, खेलेंगे हम रंग
Ravi Prakash
सिर्फ तुम्हारे खातिर
सिर्फ तुम्हारे खातिर
gurudeenverma198
हमें याद आता  है वह मंज़र  जब हम पत्राचार करते थे ! कभी 'पोस्
हमें याद आता है वह मंज़र जब हम पत्राचार करते थे ! कभी 'पोस्
DrLakshman Jha Parimal
मेरी आत्मा ईश्वर है
मेरी आत्मा ईश्वर है
Ms.Ankit Halke jha
आईने से बस ये ही बात करता हूँ,
आईने से बस ये ही बात करता हूँ,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
Ahtesham Ahmad
सिर्फ तुम
सिर्फ तुम
Arti Bhadauria
रंगों की सुखद फुहार
रंगों की सुखद फुहार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...